December 24, 2024 11:14 pm

उ0प्र0, देश का पहला ऐसा राज्य, जिसने परम्परागत उत्पादों के लिए स्वयं की नीति बनाई

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 से परम्परागत उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेश, देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने परम्परागत उत्पादों के लिए स्वयं की नीति बनाई है। प्रदेश के सभी 75 जनपदों के एक विशिष्ट उत्पाद को चिन्हित करते हुए आगे बढ़ाया गया है। यही कारण है कि आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद का स्वयं का एक यूनीक उत्पाद है, जिसे ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ की संज्ञा दी गई है। ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना के अन्तर्गत उत्पादों को बाजार, डिजाइनिंग, पैकेजिंग के साथ जोड़ा गया। परिणामस्वरूप रोजगार के सृजन के साथ-साथ परम्परागत उत्पादों का निर्यात होना भी प्रारम्भ हुआ है। प्रदेश में 75 जी0आई0 उत्पाद मौजूद हैं, जिन्हें देश में मान्यता प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री जी आज यहां सिल्क एक्सपो-2024 का उद्घाटन करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने रेशम उत्पादन, व्यवसाय तथा रेशम फैशन डिजाइनिंग में उल्लेखनीय योगदान देने वाले आठ विभिन्न श्रेणियों के 16 कृषकों, उद्यमियों एवं संस्थाओं को पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेशम रत्न पुरस्कार के अन्तर्गत प्रतीकात्मक चेक, प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर उन्होंने रेशम मित्र पत्रिका का विमोचन भी किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने सिल्क एक्सपो में विभिन्न रेशमी उत्पादों का अवलोकन किया।मुख्यमंत्री जी ने किसानों को दीपावली पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे समाज में रोटी, कपड़ा और मकान की कहावत प्राचीन काल से प्रचलित है। एक सभ्य समाज में प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह जीवन की बुनियादी आवश्यकताएं हैं। कपड़ा जीवन की आवश्यकता है। यह किसान की आमदनी को बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम है। प्राचीन काल से ही रेशम उत्पादन की अलग-अलग पद्धतियां रही हैं। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में अनेक सम्भावनाएं हैं। विगत कुछ वर्षों में प्रदेश ने इस क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति की है। यह प्रगति पहले की तुलना में संतोषजनक है, लेकिन इस क्षेत्र में अभी और प्रयास की आवश्यकता है। सप्त दिवसीय सिल्क एक्सपो इसका माध्यम बनेगा। प्रदेश के किसान तथा उद्यमी रेशम वस्त्रोद्योग के क्षेत्र से प्राचीन काल से जुड़े रहे हैं। लेकिन समय के अनुरूप उन्हें उचित प्रोत्साहन, डिजाइनिंग तथा पैकेजिंग के साथ जुड़ने में पिछली सरकारों की उपेक्षा का सामना करना पड़ा। यह स्थिति परम्परागत उत्पादन के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिली।मुख्यमंत्री जी ने रेशम क्षेत्र से जुड़े स्टेकहोल्डर्स का आह्वान करते हुए कहा कि प्रदेश में वाराणसी तथा भदोही रेशम उद्योग के लिए अनेक सम्भावनाओं वाले क्षेत्र हैं। आजमगढ़ के मुबारकपुर की साड़ी से लेकर वाराणसी की रेशमी साड़ियां अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।

केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में सिल्क क्लस्टर्स विकसित करने के लिए नए प्रयास को आगे बढ़ाया है। देश में मांगलिक कार्यक्रमों में वाराणसी की रेशमी साड़ियां लोगों की पहली पसंद होती हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के उपरान्त, पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से इस व्यवसाय को नई ऊंचाई प्राप्त हुई है। वाराणसी में एक्सपो मार्ट के माध्यम से तथा ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर बनने के उपरान्त इसमें काफी वृद्धि हुई है। आजमगढ़ के मुबारकपुर, वाराणसी तथा भदोही के साड़ी उद्योग से जुड़े हुए उद्यमियों से बात करने तथा सिल्क क्लस्टर्स की प्रगति का अवलोकन करने पर इस क्षेत्र में अनेक सम्भावनाओं का पता चलता है। प्रदेश में लखनऊ-हरदोई सीमा पर स्थित पी0एम0 मित्र पार्क, टेक्सटाइल पार्क का वृहद रूप है। यह लगभग 1,000 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तृत है। टेक्सटाइल से जुड़े हुए अलग-अलग उद्योग यहां पर लगने जा रहे हैं। यह प्रदेश की सम्भावनाओं को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है। वस्त्रों के लिए रॉ मैटेरियल हमें स्वयं ही तैयार करना होगा। प्रदेश में केन्द्र सरकार द्वारा रेशम उत्पादन के क्षेत्र में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। यहां सिल्क एक्सपो के दौरान किसानों को इनकी जानकारी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री जी ने रेशम विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक जिले में इन योजनाओं से किसानों को अवगत कराने के लिए संगोष्ठियों तथा सेमिनार आदि का आयोजन किया जाए। किसानों को ट्रेनिंग के कार्यक्रम के साथ भी जोड़ा जाना चाहिए। इसके पश्चात विभिन्न जनपदों के ऐसे किसानों को नई सम्भावनाओं को तलाशने के लिए अन्य राज्यों में भेजा जाना चाहिए। इसके माध्यम से रेशम के क्षेत्र में सम्भावनाओं में वृद्धि होगी। अभी हमने रेशम के उत्पादन को 84 गुना बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है। एक समय जरूर आएगा जब उत्तर प्रदेश रेशम उत्पादन में अग्रणी राज्यों में गिना जाएगा। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 09 क्लाइमेटिक जोन में अलग-अलग प्रकार की कृषि को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। काशी तथा आजमगढ़ प्राचीन काल से ही रेशम उद्योग के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। यदि हम स्थानीय स्तर पर रेशम के उत्पादन, प्रोसेसिंग तथा वस्त्र उत्पादन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे, तो इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे। यदि इस उद्योग को सस्ता कच्चा माल प्राप्त होगा तो लागत कम होने पर बाजार तथा लोगों की मांग के अनुसार उत्पाद को सहजता से उपलब्ध कराया जा सकेगा। सरकार किसानों को ट्रेनिंग, मार्केटिंग तथा डिजाइनिंग के साथ जोड़ने तथा प्रोसेसिंग व कच्चे माल की उपलब्धता के लिए सहयोग प्रदान करेगी। प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में अनेक प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के अलग-अलग उत्पाद राज्य के पोटेंशियल को देश व दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। राज्य अपने परम्परागत उत्पादों के माध्यम से युवाओं तथा उद्यमियों को आगे बढ़ने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवा रहा है। हमें प्रदेश में सिल्क के क्लस्टर्स विकसित होने की सम्भावना रखने वाले क्षेत्रों में प्रयासों को भी तेजी से आगे बढ़ाना होगा। आवश्यकता पड़ने पर अनुभवी किसानों को रेशम मित्र के रूप में तैनात किया जाना चाहिए। जिससे इस फील्ड की सम्भावनाओं को जमीनी धरातल पर उतारकर राज्य को स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से अन्य राज्यों के समक्ष खड़ा किया जा सके। इसके लिए इन्सेंटिव आदि व्यवस्थाओं को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने पर अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। रेशम उत्पादन के लिए ऐसी अभिनव तकनीकों तथा मेकैनिज्म को विकसित करना चाहिए, जिससे किसान अधिकतम उत्पादन कर अधिक मुनाफा कमा सकें। इसके लिए सिल्क एक्सपो में प्रयास किए जाने चाहिए तथा इसके सम्बन्ध में किसानों के सुझाव भी लिए जाने चाहिए।मु

ख्यमंत्री जी ने कहा कि रेशमी वस्त्र विशुद्ध रूप से स्वदेशी तकनीक पर आधारित होते हैं। हमें इस तकनीक का समयबद्ध रूप से उन्नयन करना होगा। खादी उत्पादन के लिए परम्परागत रूप से हाथ से चलने वाले चरखे का उपयोग किया जाता था। इसके बाद इलेक्ट्रिक चरखा आया। इससे चरखे की रफ्तार में 5 से 10 गुना की वृद्धि हुई है। लेकिन इसमें बिजली की अधिक खपत होती है। बिजली के खर्चे को कम करने के लिए अब सोलर चरखे आ गए हैं।ऐसे ही रेशम के उत्पादों की प्रोसेसिंग को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए। यह यहां के सिल्क एक्सपो में देखने को प्राप्त भी हुआ है। यह विशुद्ध रूप से स्वदेशी तकनीक है तथा रोजमर्रा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं के स्वावलम्बन का माध्यम भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन के अनुरूप महिला सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति के अन्तर्गत अनेक कार्यक्रम आगे बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कम संसाधनों के होते हुए भी दुनिया के अनेक छोटे-छोटे देश रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बन चुके हैं। प्रदेश में संसाधन तथा सम्भावनाएं दोनों हैं। यदि हम आधी आबादी को रेशम उत्पादन, प्रोसेसिंग, रेडीमेड गारमेंट, मार्केटिंग, पैकेजिंग तथा डिजाइनिंग के साथ जोड़ दें, तो इन देशों का स्थान प्रदेश तथा देश ले सकता है। इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। इस अवसर पर प्रदेश में रेशम विकास पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग मंत्री श्री राकेश सचान, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग, अपर मुख्य सचिव उद्यान व रेशम उत्पादन श्री बाबूलाल मीणा, सदस्य सचिव, केंद्रीय रेशम बोर्ड श्री पी0 शिवकुमार, विशेष सचिव ए0पी0सी0 शाखा श्री सुनील कुमार वर्मा, किसान तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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