मदन सिंह
मौसम अपडेट : कानपुर के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ0 एस0एन सुनील पांडे ने अभिनव प्रभात न्यूज़ को मौसम की जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान समय में जलवायु एवं वर्षा को बताने के लिए मौसम विज्ञान के साथ-साथ अनेक नई वैज्ञानिक प्रणालियां प्रचलित हो चुकी हैं मौसम वैज्ञानिक अब लेकिन प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में इसको जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र की गणना चली आ रही है ईएन पुरानी पद्यातियों के साथ वैज्ञानिकता के मेलज़ोल को बढ़ाने का काम अब मौसम वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है . आज भी पंचांगों में वर्षा का योग पंचांग बनते समय ही बता दिया जाता ह पिछले कुछ दिनों से अचानक चिपचिपाती गर्मी तेज हो गई है. लेकिन ज्योतिष की मानें तो नक्षत्र कुछ और ही इशारा कर रहे हैं. ज्योतिष में वर्षा के आधार जलस्तंभ के रूप में बताया गया है, इसलिए वर्षा को आकृष्ट करने के लिए यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण कहा गया है. ‘अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्न संभव’ वस्तुतः वायु तथा बादलों का परस्पर संबंध होता है. आकाश मंडल में बादलों को हवा ही संचालित करती है वही उनको संभाले रखती है इसलिए वायुमंडल का वर्षा एवं स्थान विशेष में वर्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है. 27 सितंबर से भारी बारिश के योग बन रहे हैं मौसम विज्ञान के मॉडल और डाटा विश्लेषण , सैटेलाइट से प्राप्त तसवीरों , एयर गुबारों और कई तरीक़ो से प्राप्त अकड़ों और वैदिक ज्योतीश में पंचांग दोनों के ताल – मेल के माध्यम से वर्षा का योग पता लगाया जा सकता हैसीएसए मौसम विभाग द्वारा इस पर काम किया जा रहा है . सितंबर की शुरुआत से ही काफी अच्छी बारिश से हुई है. गर्मी से भी राहत मिली है शहरी जनजीवन अस्त व्यस्त रहा है, किसानों को इस बारिश का लाभ मिला.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सितंबर माह मैं अच्छी वर्षा के योग है और उसके बाद 27 से हस्त नक्षत्र लगेगा इसे हथिया भी कहते हैं. इस नक्षत्र में भारी बारिश की संभावना होती है.तूफानी वायु, जंगलों एवं अन्य स्थानों में लगे हुए वृक्ष मकानों तथा पर्वत की शीला खंडों को उखाड़ फेंकने में समर्थ होते हैं लेकिन जब आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तरा भाद्र पद, पुष्य, शतभिषा, पूर्वाषाणा एवं मूल नक्षत्र वरुण अर्थात् जल मंडल के नक्षत्र कहे जाते हैं. इनसे विशेष ग्रहों का योग बनने पर वर्षा होती है. साथ ही रोहिणी नक्षत्र का वास यदि समुद्र में हो तो घनघोर वर्षा का योग बनता है.साथ ही रोहिणी का वास समुद्र तट पर होने पर भी वर्षा खूब होती है.इसलिए वर्षा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में वायुमंडल का विचार किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार पूर्व तथा उत्तर की वायु चले तो वर्षा शीघ्र होती है. वायव्य दिशा की वायु के कारण तूफानी वर्षा होती है. ईशानकोण की चलने वाली वायु वर्षा के साथ-साथ मानव हृदय को प्रसन्न करती है. श्रावण में पूर्व दिशा की और भादों में उत्तर दिशा की वायु अधिक वर्षा का योग बनाती है. शेष महीनों में पश्चिमी वायु (पछवा) वर्षा की दृष्टि से अच्छी मानी जाती है.ये नक्षत्र भी कराते हैं बारिश : वर्षा को जानने के लिए ज्योतिष विज्ञानियों ने नक्षत्रों पर विशेष विचार किया है जैसे आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा आदि. सूर्य और गुरु एक राशि में हों तथा गुरु और बुध भी एक राशि में हों वर्षा तब तक जारी रहती है जब तक बुध या गुरु में से कोई एक अस्त न हो.डॉ०यस०यन०सुनील पांडेय मौसम विशेषज्ञ द्वारा इस पर कई साल से काम किया जा रहा है