लखनऊ। (संवाददाता) खुन जी गर्ल्स पी.जी. कॉलेज( कल्चरल क्लब “कलायनम”) और उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में “हिन्दी साहित्य में प्रगतिवाद” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संयोजन श्रीमती रश्मि, वरिष्ठ साहित्यकार ने किया। इन्होंने संगोष्ठी में मुंशी प्रेमचंद (ईदगाह),सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (वह तोड़ती पत्थर)जी की रचनाओं के माध्यम से प्रगतिवाद को समझाया । इन्होंने बताया कि साहित्य एक मशाल है , जो यह बताता है कि हम क्या हैं और भविष्य में क्या होंगे।
आज की की संगोष्ठी की प्रथम मुख्ता के रूप में खुन खुन जी गर्ल्स पी.जी कॉलेज की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमारी ने अपने व्याख्यान में हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि समाज में फैली असमानता और भ्रष्टाचार को खत्म करने में प्रगतिवाद की अहम भूमिका है हम साहित्य को केवल एक मनोरंजन सिनेमा से संबंधित नहीं समझ सकते साहित्य वह है जो हमारे समाज की समस्याओं को उजागर कर उसको समाज के सामने रखना। डॉ सुधा मिश्रा, एस.एल.बी डिग्री कॉलेज अवध यूनिवर्सिटी ने अपने वक्तव्य में प्रगतिवाद के विषय में चर्चा करते हुए बताया जब हम सत्य को बिना डरे सत्य की तरह पूरी शक्ति के साथ कहना शुरू करते हैं तभी प्रगतिवाद की शुरुआत होती है।
संगोष्ठी के द्वितीय वक्ता के रूप में डॉ. नलिन सिंह प्रोफेसर ,जे. एन पी.जी कॉलेज लखनऊ ने अपने व्याख्यान में निराला ,पंत , नागार्जुन ,त्रिलोचन, केदारनाथ, रामविलास शर्मा, शमशेर बहादुर सिंह, गजानन माधव आदि की रचनाओं के माध्यम से प्रगतिवाद पर प्रकाश डाला। इनके द्वारा मुंशी प्रेमचंद की रचना ‘महाजनी सभ्यता’ पर प्रकाश डाला गया जिसमें इन्होंने बताया कि दुनिया दो भागों में बटी हुई है एक शासकीय वर्ग और दूसरा सर्वहारा वर्ग। मार्क्सवाद पूंजीवाद के विकेंद्रीकरण की बात करता है। उस समय के साहित्य में हम प्रगतिवाद की छाप देखते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं केसरिया स्वर की प्रधान संपादक शरद सिंह शरद,शरद सिंधु उपस्थित थे। कार्यक्रम के आयोजन में प्रोफेसर रेशमा परवीन डॉ. सुमन लता डॉ. रुचि यादव , डॉ अनामिका सिंह राठौर डॉ.विजेता दीक्षित, डॉ प्रियंका डॉ प्रीति सिंधी, डॉ पारुल सिंह आदि ने सहयोग किया। संपूर्ण कार्यक्रम महाविद्यालय की प्रोफेसर अंशु केडिया के निर्देशन में हुआ।