लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका पर सुनवायी के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने स्वीकार किया है कि छोटा इमामबाड़ा के जीर्णोद्धार की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि पश्चिमी गेट और कुछ दीवारें गिरने की स्थिति में हैं जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। इस पर न्यायालय ने एएसआई को दो सप्ताह के भीतर रिपेयर सम्बंधी कार्य का प्रोजेक्ट व अनुमानित खर्च बताने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने जिला प्रशासन को भी आदेश दिया है कि वह छोटा इमामबाड़ा के प्रवेश द्वार से अवैध अतिक्रमण हटाए।
मामले की अगली सुनवायी 20 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने सैयद मोहम्मद हैदर रिजवी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में राजधानी के संरक्षित स्मारकों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त करवाए जाने की मांग की गई है। याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारकों के रख-रखाव व मरम्मत के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। इसके जवाब में एएसआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने याची के इस आरोप को बेबुनियाद बताया व सफाई दी कि संरक्षित स्मारकों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।
हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि छोटा इमामबाड़ा के कुछ हिस्से जर्जर अवस्था में हैं और इस वजह से पर्यटकों अथवा वहाँ तैनात कर्मचारियों आदि के साथ कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। न्यायालय ने स्थिति को देखते हुए, एएसआई और ट्रस्ट को मामले को गम्भीरता से लेने का आदेश दिया है।