January 11, 2025 2:29 am

हिन्दी संस्थान में विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी) लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा विश्व हिन्दी दिवस समारोह के शुभ अवसर पर दिन शुक्रवार10 जनवरी, 2025 को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार लखनऊ में पूर्वाह्न 11.00 बजे से किया गया।

इस अवसर पर डॉ0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, डॉ0 सुधाकर अदीब, डॉ0 कैलाश देवी सिंह, डॉ0 सूर्यकान्तका स्वागत स्मृति चिह्न भेंट कर श्री राज बहादुर, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।

उन्हांेने कहा कि हिन्दी के सर्वांगीण विकास की आवश्यकता है। हिन्दी भाषा को विश्व के विभिन्न देशों में प्रचार-प्रसार में गिरमिटिया मजदूरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मॉरीशस, सूरीनाम में गिरमिटिया मजदूरों ने हिन्दी भाषा को सम्पन्न और समृद्ध किया। प्रवासी भारतीयों ने हिन्दी भाषा व संस्कृति को बढ़ाने में अपना बहुत योगदान दिया है। वैश्विक चेतना के कारण भी हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार हो रहा है। अप्रवासी भारतीयों ने विदेशों में हिन्दी भाषा, संस्कृति व साहित्य को काफी बढ़ावा दिया है। विदेशी लेखकों व भाषा विद्वानों ने अनुवाद, कोशकारिता, पत्रकारिता, व्याकरण द्वारा भी हिन्दी को समृद्ध किया। विश्व स्तरपर आज हिन्दी की अनिवार्यता बढ़ती जा रही है। हिन्दी की महत्ता व्यापार के बढ़ने से भी काफी प्रचलित हो रही है।

इस अवसर पर डॉ0 सुधाकर अदीब ने कहा कबीर, सूर, तुलसी, बिहारी, मीरा, मतिराम, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, दिनकर जैसे ऋषि तुल्य कवियों, कवयित्रियों ने भक्ति साहित्य को सुशोभित किया। आज हिन्दी भाषा निरन्तर समृद्ध होती जा रही है। विश्व स्तर पर हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। विश्व में बौद्धिक सम्पदा के रूप में हमारे तकनीकी, शिक्षा, प्रबन्धन, कम्प्यूटर के विशेषज्ञ हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। विदेशी लेखकों ने भी अनुवाद के माध्यम से हिन्दी को बढ़ावा दिया है। भारत में प्रदेशों की साहित्यिक अकादमियों व संस्थाओं द्वारा भी हिन्दी भाषा को बढ़ाने व प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा रही है। हिन्दी भाषा का भविष्य उज्जवल है।

इस मौके पर डॉ0 कैलाश देवी सिंह ने कहा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व हिन्दी सम्मेलनों को प्रारम्भ किया गया। विश्व भाषा के रूप में उसी भाषा को मान्यता मिल सकती है, जिसमें मानव चेतना के तत्व विद्यमान हो। विश्व में हिन्दी का स्थान तीसरा है। विश्व के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। विश्व में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में प्रवासी लेखकों, साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 19 वीं व 20 वीं शताब्दी में विदेशों में हिन्दी भाषा के क्षेत्र में अनुवाद व व्याकरण के माध्यम से प्रचार-प्रसार हुआ। विदेशी साहित्यकारों, लेखकों ने हिन्दी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। विदेशों में कबीर व सूरदास के भक्ति साहित्य को प्रमुखता से सराहा गया तथा इस विधा में काफी कार्य किया गया। प्रवासी लेखकों, साहित्यकारों ने विदेशों में हिन्दी में पत्रिका का प्रकाशन कर हिन्दी भाषा का काफी प्रचार-प्रसार किया है।

डॉ0 सूर्यकान्त ने कहा जीवन्त भाषा वह है, जो हर क्षेत्र में अपना विस्तार करती चले। आज हिन्दी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना स्थान बना रही है। चिकित्सा की पुस्तकें हिन्दी में भी प्रकाशित हो रही हैं। आज आवश्यकता है कि हिन्दी के साथ-साथ अन्य विषय-विशेषज्ञों को भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए जोड़ना होगा। आज हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि हिन्दी बहुआयामी भाषा बने। हमें हिन्दी को जनमानस के मध्य में प्रचार-प्रसार करना होगा। भाषा को समृद्ध बनाने के लिए उसका सरल होना आवश्यक है।

निदेशक ने कहा विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर राज बहादुर, निदेशक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने संस्थान द्वारा संचालित की जाने वाली विभिन्न योजनाओं व साहित्यकारों को प्रदान किये जाने वाले सम्मानों व पुरस्कारों के बारे में विस्तार से बताया। आज उ0प्र0 हिन्दी संस्थान निरन्तर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति समर्पित है।

डॉ0 अमिता दुबे ने कार्यक्रम का संचालन एवं संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया गया।

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