संवाददाता सऊद
लखनऊ। एक वक़्त था कि मीर तकी मीर दिल्ली से लखनऊ आए थे और उर्दू अदब की दुनिया को एक नई ज़िंदगी दी थी,आज एक ऐसा वक्त है कि सफ़र करना आसान हो गया हज़ारों मील दूर बैठे लोग अपनों का हालचाल सेकेण्डों में मालूम कर लेते हैं, सोशल मीडिया का ज़माना है लोग पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक मोबाइल में कर लेते हैं,ऐसे दौर में कड़कड़ाती ठंड में रात में किसी की शायरी सुनने जाना एक दीवानी ही है,दिल्ली के आई. टी. ओ. के निकट पंडित दीनदयाल उपाध्याय रोड स्थित अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्दी घर में दिनांक 13 दिसम्बर 2024 की शाम को 5 बजे से मुशायर व कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई जो देर रात तक चला,यह मुशायरा व कवि सम्मेलन शायर व चिकित्सक डॉ. अफ़रोज़ तालिब की सालगिरह के मौके पर हुआ, जिसमें लखनऊ/बाराबंकी की एन.जी.ओ. शेख़ उल हिन्द सेवा संस्थान के संस्थापक व संचालक अकमल शेख़ की अंजुमन महफ़िल ए बयां का अहम किरदार रहा,यह मुशायरा अकमल शेख़ की अगुवाई में महफ़िल ए बयां के बैनर तले सम्पन्न हुआ,देश के कोने कोने से तशरीफ़ लाए शायर व शायराओं ने अपनी शायरी से दिल्ली वालों को लुत्फ़ अन्दोज़ कराया, लखनऊ से तशरीफ़ लाए वरिष्ठ शायर वक़ार काशिफ़ ने कहा
कोई रस्ते मे मुझको मिल गया है
उसी के साथ मेरा दिल गया है
बाराबंकी से तशरीफ़ लाए शायर अल्फाज़ धीरज ने कहा कि
अपने अपने शौक़ हैँ दुनिया वालों के
हम चिड़ियों के बच्चे पाले बैठे हैँ
मलीहाबाद से तशरीफ़ लाए शायर
,, डॉ. अली मलीहाबादी ने कहा,,
,,मस्जिद की सीढ़ियों से बड़े ज़ोर ज़ोर से
इक बाप कह रहा था कि बेटे बदल गए,,
इसके अलावा लखनऊ, दिल्ली व देश अन्य शहरों से तशरीफ़ लाए शायर व शायराओं ने अपने कलाम से नवाज़ा, जिसमें मुख्य रूप से अंजुम हापुड़ी, मुईद रहबर लखनवी,अरशद नदीम,मुईन कुरैशी,सिराज तालिब, अब्दुर्रहमान मन्सूर,अजय अक्स,फ़रीद अहमद फ़रीद,ख़ालिद इख़लाक़,डॉ. फ़रमान चौधरी,डॉ. नज़्म इक़बाल,नवाज़िश तालिब,वसीम जहांगीराबादी, वन्दना वर्मा अनम,मो. अली अल्वी,हशीम फ़ारुक़ी,ज़हूर फ़ैज़ी बाराबंकी, नितिन कबीर,कमला सिंह ज़ीनत दिल्ली,ख़ुशबू परवीन दिल्ली,समर फ़ातिमा हैदराबाद ने अपना कलाम सुनाया, मेहमान ए ख़ास में डॉ. रियाज़ उल हक़ अन्सारी लखनऊ,मोनस ज़मीर बाराबंकी, आफ़ताब आलम खां मुम्बई, निसार अहमद खां,डॉ.अब्दुल्लाह खां,अब्दुल माजिद खां,शफ़ीक़ खां,जावेद अशरफ़ खां, चौधरी सुहैल मुम्बई,मोहम्मद आमिर शामिल रहे,सद्र की भूमिका उर्दू अकादमी दिल्ली के वाइस चेयरमैन व जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शैहपर रसूल ने अदा की, प्रोग्राम की निज़ामत आलमी शोहरत याफ़्ता शायर मुईन शादाब ने की अन्त में अकमल शेख़ व डॉ. फ़िरोज़ तालिब ने शायरों व श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया।