संवाददाता सऊद
मलिहाबाद,लखनऊ। रहीमाबाद, आम के पेड़ों में बढ़ रहा जाला कीट सुंडी का प्रकोप दिन व दिन बढता जा रहा है इसको लेकर बागवान परेशान है।और बागों में जाला कीट जैसे रोगो से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करा रहे हैं।यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय होने के कारण साल भर की जीविका सहित घरेलू वैवाहिक कार्यक्रम सहित कामकाज इसी आम की फसल पर ही निर्भर है। ज्ञात हो कि मलिहाबाद फलपट्टी क्षेत्र में इस साल बरसात काफी होने से आम के बागों में जाला कीट कटर पिलर का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। यह कीड़ा पिछले कई सालों से आम के पौधों को काफी नुकसान पहुंचाता चला आ रहा है।
पिछले कई साल तो इस कीड़े ने नीम,सहित कई प्रजातियों की पत्तियों को खाकर पेड़ों को लगातार काफी नुकसान पहुंचे चला रहा है यह कीड़ा आम की पत्तियों को पूरी तरह चट कर जाता है। पेड़ों में डंठल ही नजर आते हैं। ऐसी स्थिति होने पर पेड़ों में बौर नहीं निकलते हैं और आम की फसल आने की सम्भावना नहीं रह जाती है बागवानों ने कहा। यदि पर्याप्त मात्रा में बरसात होती तो हवा और पानी के साथ जाला कीट का मलबा या उसके सूखे पत्तों का जाला बरसात में नीचे गिर जाता है। बागों में पानी मे पानी भरा होने के कारण कीड़ा भी नष्ट हो जाता है, लेकिन इस बार अभी तक न के बराबर हुई बरसात से जाला कीट सुंडी आम के पेड़ो पर स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है , उसके लार्वा में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
यदि इसी तरह बरसात की स्थिति रही तो जाला ही नहीं अन्य कीटों का प्रभाव भी बढ़ेगा। जिससे आने वाली आम की फसलों को नुकसान होगा न ईम शमशाद अंसारी सहित बागवानों ने बताया कि पर्याप्त मात्रा में बरसात न होने के कारण यह लोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है पूरे बाग में सिर्फ जाला व इसका कीट नजर आ रहा है पेड़ों पर पत्ते तक नजर नहीं आ रहे हैं बागवान साल भर आम के पौधों व फसल को कीटो से बचाने के लिए लगातार कीटनाशकों का छिड़काव करता रहता है,जिसमे काफी अपव्यय होता है जाला कीट जैसे रोग से बागवान काफी परेशान हैं।
इसके लिए बागवानों ने अपने बागों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया है इस समस्या से निजात मिल गी या नही यह कहना मुश्किल होगा उद्यान विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल जाला कीट का प्रभाव समाप्त ही नहीं हुआ है। फिर भी यदि मौसम में गर्मी रहने और बरसात न होने से कैटर पिलर का प्रभाव दिखाई पड़ रहा है तो बागवानों को इसको मारने के लिए लिमडा कोनालफास कलोरो परोफोनोफास इमामैकटिन सहित कई कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। जिससे आम के पेड़ों में नुकसान से बचाया जा सके।