December 26, 2024 6:45 am

जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य पर जिला स्तरीय कार्य योजना बनाने हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ लखनऊ में शुभारंभ

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी)लखनऊ। जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य व ‘ग्रीन एंड क्लाइमेट रेजिलिएंट हेल्थकेयर’ पर जिला स्तरीय कार्य योजना (ऐक्शन प्लान) बनाने हेतु एक दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया। कार्यशाला में 75 जिलों के स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलान्स अधिकारी एवं पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञों ने भाग लिया एवं जिला स्तरीय कार्य योजना बनाने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला का शुभारंभ प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा द्वारा किया गया। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य केन्द्रों के सोलराइज़ेशन पर एक डाक्यूमेन्ट्री एवं फिल्म का भी लोकार्पण पार्थ सारथी सेन शर्मा, स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिनिधि एवं तकनीकी अधिकारी नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल जयश्री नंदी, निदेशक संचारी रोग उत्तर प्रदेश डॉ आर पी एस सुमन, राज्य नोडल अधिकारी नेशनल प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एण्ड ह्यूमन हेल्थ डॉ विकासेंदु अग्रवाल, यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख एवं प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित मेहरोत्रा द्वारा किया गया।

इसके साथ ही यूनिसेफ द्वारा बनाई गई जलवायु परिवर्तन के बच्चों पर प्रभाव को दर्शाती हुई फिल्म का भी लोकार्पण किया गया।पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा, “जिला स्तरीय कार्य योजना बनाते हुए हमे यह ध्यान रखना होगा की वह प्रासंगिक एवं व्यावहारिक हो एवं राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जिले की आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के अनुरूप हो”। उन्होंने कहा कि प्लान में लोगों द्वारा किए जाने वाले छोटे प्रयासों को भी शामिल करना आवश्यक है और साथ ही फ्रन्टलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का क्षमता वर्धन एवं जागरूकता कार्यक्रम भी इसमें शामिल किए जाने चाहिए। पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा “स्वास्थ्य विभाग का दायित्व केवल उपचार तक ही सीमित नहीं है। हमे यह ध्यान रखना होगा की स्वास्थ्य सेवाएं स्वयं भी पर्यावरण को क्षति पहुँचने वाले कोई कार्य न करें।“निदेशक संचारी रोग उत्तर प्रदेश डॉ0 आर पी एस सुमन ने कहा की उचित तैयारी से जोखिम को कम किया जा सकता है। उन्होंने हीट वेव के समय स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए प्रयासों के विषय में बताया की कैसे समय से पूर्व अनुमान लगा कर तैयार रहने से प्रदेश में मृत्यु को कम करने में विभाग सफल रहा।

तकनीकी अधिकारी नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल जयश्री नंदी ने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सोलराइज़ेशन की सराहना की एवं जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने पर जोर दिया।प्रदेश में चरणबद्ध तारीके से यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से स्वास्थ्य सेवाओं का सोलराइज़ेशन किया जा रहा है। अब तक प्रदेश के 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 32 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सोलराइजेशन किया जा चुका है।यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख डॉ0 अमित मेहरोत्रा ने प्रदेश सरकार के जिला कार्ययोजना बनाए जाने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा,” जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन पर सबसे अधिक होता है। इसी दृष्टि से यूनिसेफ द्वारा भी इस क्षेत्र में सरकार के साथ मिल कर प्रयास किए जा रहे हैं।“डॉ0 मेहरोत्रा ने बताया की यूनिसेफ द्वारा प्रदेश के सभी 75 जिलों में 44000 मीना मंचों के साथ जलवायु परिवर्तन पर कार्य किया जा रहा है जिसका विशेष जोर व्यवहार परिवर्तन एवं जागरूकता पर है।

डॉ0 विकासेंदु अग्रवाल ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया की किस प्रकार जिला स्तरीय प्लान से जलवायु परिवर्तन के मानव पर पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सकता है और कौन से महत्वपूर्ण बिंदुओं को इसमें शामिल किया जाना अनिवार्य है। यूनिसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ0 कनुप्रिया सिंघल ने जलवायु परिवर्तन के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा की 90 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी प्रकार के वायु प्रदूषण से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा की पर्यावरण जोखिम को कम कर के पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु को 26 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। डॉ0 सिंघल ने युवाओं की प्रतिभागिता एवं सामुदायिक जागरूकता पर जोर दिया।कार्यशाला में यूनिसेफ के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 विजय अग्रवाल सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

3
Default choosing

Did you like our plugin?