लखनऊ। राजधानी में छह माह के अंतराल में 3690 गर्भवती ई – वाउचर से लाभान्वित हुई है। मंगलवार को सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि सभी सीएचसी पर गर्भवती को ई रूपी वाउचर के माध्यम से निजी अल्ट्रा साउंड सेंटर पर भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल रही है।उन्होंने बताया कि अप्रैल से अब तक कुल 3690 गर्भवती ने लाभ उठाया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिले के 44 निजी अल्ट्रासाउंड केन्द्रों को सूचीबद्ध किया गया है। सभी 44 अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर ई-रूपी बाउचर के माध्यम से भुगतान की प्रक्रिया आसान हो गई है। इस प्रक्रिया में लाभार्थियों को किसी तरह का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती है।इसमें गर्भवती को अल्ट्रा साउंड कराने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है। वह नजदीकी सूचीबद्ध डायग्नोस्टिक केंद्र पर जाकर अपना अल्ट्रा साउंड करवा सकती है। अल्ट्रा साउंड करवाने से गर्भस्थ शिशु की स्थिति के बारे पता चल जाता है और कोई समस्या होने पर समय से उसका प्रबंधन हो जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
जिससे कि गर्भवती को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े पीएमएसएमए के तहत उच्च जोखिम की गर्भावस्था की पहचान कर और उसका समय से प्रबंधन कर हम माँ और बच्चे दोनों की जान बचा सकते हैं। वहीं पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. केडी मिश्रा बताते हैं कि हर माह की एक, नौ, 16 और 24 तारीख को जिला महिला चिकित्सालय सहित सभी ब्लॉक सीएचसी पर मातृत्व अभियान मनाया जाता है। ज्ञात हो कि इस व्यवस्था में लाभार्थी का विवरण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ई-रुपी वाउचर साइट पर अपलोड किया गया है।अपलोड होने के बाद ई- रूपी वाउचर जेनेरेट होकर लाभार्थी के मोबाइल पर पहुँच जाता है एवं लाभार्थी को एक संदेश प्राप्त होता है। लाभार्थी इस ई- रूपी वाउचर के साथ नजदीकी सेवा प्रदाता अल्ट्रा साउंड केंद्र पर जाता है। अल्ट्रासाउंड होने के बाद लाभार्थी के मोबाइल पर एक ओटीपी आता है। ओटीपी को सेवा प्रदाता को देने के बाद अल्ट्रा साउंड की मानक धनराशि सेवा प्रदाता के खाते में स्वतः हस्तांतरित हो जाती।यह ई-वाउचर एक माह के लिए वैध रहता है। गर्भवती चिन्हित सूचीबद्ध किसी भी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जाकर जांच करा सकती है।