तीन दिसंबर को हुआ संदेह, सात को कन्फर्म हुआ लकड़बग्घा नहीं बाघ
संवाददाता सऊद
लखनऊ/काकोरी। लखनऊ में बाघ रोज नई नई जगह दिखाई दे रहा है मंगलवार को बाघ काकोरी के कटौली गांव के जगलाल के खेत में सुबह करीब सात बजे देखने का दावा किया।
जिसके बाद खेत में काम कर रहे ग्रामीण अपना अपना काम छोड़ भाग खड़े हुए है। वहीं बाघ की मौजूदगी की सूचना पर पास में एक स्कूल की छुट्टी कर दी गई। बाघ प्रतिदिन अपनी लॉकेशन बदल रहा ऐसे में टीम को काबिंग का अपना क्षेत्र रोज रोज बदलना पड़ रहा है।
बीते पांच दिनों में अलग-अलग जगह पर पग चिन्ह मिलने की सूचना मिली है रहमान खेड़ा फार्म हाउस में 11 दिसंबर को वह गुरुदीन खेड़ा हलवापुर और अब आज दावा किया जा रहा है कि खतौली गांव में गेहूं के खेत में बाघ को देखा गया है।
बाघ जिन क्षेत्रों से होकर गुजर रहा है वहां से करीब 10 किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोग उसकी दहशत में आ गए है। वैसे मैं बाघ न केवल रहमान खेड़ा के आसपास गांव के लोगों में दहशत बना रहा है बल्कि 20 किलो मीटर रेंज में रह रहे लोगों में दहशत का माहौल है।रहमान खेड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों हबीबपुर,मीठेनगर व दुगौली से पब्लिक एरिया की ओर
नीलगाय को बनाया पहला शिकार,
एक दर्जन कैमरे लगे, बहराइच से ड्रोन कैमरा ले पहुंची स्पेशल टीम, वन विभाग की टीम सतर्क
कुछ साल पहले भी खेड़ा में आया था बाघ, 3 माह की कॉम्बिंग के बाद पकड़ा गया था
जानकारी के तहत बाघ रोजाना करीब सात से आठ किमी की दूरी इसी चौतरफा एरिया में तय कर रहा, ऐसे में अब वो खेड़ा के जंगली एरिया से निकलकर बाहर इंसानी बस्तियों या फिर खेतों में इसके स्पष्ट पगचिन्ह देखे जा रहे हैं। ऐेसे में वन विभाग की टीम भी अलर्ट हो गई।
डीएफओ डॉ. सितांशु पांडेय ने अपडेट करते हुए बताया कि गुरदीन खेड़ा एरिया में बाघ की लोकेशन मिली है, इसको लेकर हमारी पूरी टीम लगातार कर रही है मानीटरिंग। वहीं जानकारी के अनुसार अभी तक टीम ने प्रभावित एरिया में एक दर्जन कैमरे जगह-जगह लगाये हैं ताकि चहलकदमी कर रहे बाघ की लोकेशन या फिर लाइव फुटेज मिल सके। साथ ही बहराईच से एक स्पेशल टीम ड्रोन कैमरे संग मौके पर पहुंच गई है और बीते रविवार को वाइल्ड लाइफ की टीम ने भी सर्च आॅपरेशन किया। वैसे जानकारी के तहत कुछ साल पूर्व भी इस खेड़ा क्षेत्र में एक बाघ आ गया था जिसके पकड़ने में वन विभाग की टीम को तकरीबन तीन माह लग गये थे और उसे उस दौरान टाईगर प्रोजेक्ट के तहत पकड़ा गया था।
बाघ को पसंद है रहमान खेड़ा का जंगल
स्थानीय बुजुर्ग ग्रामीण वासियों की माने तो दरअसल, रहमानखेड़ा का जो जंगली एरिया है और बेता नाला पड़ता है उसके आसपास पानी की सुविधा अच्छी है। जिससे छोटे वन्य जीव प्राणी यहां पर बराबर दिन में एक बार जरूर आते रहते हैं और उन्हें भरपूर मात्रा में फल-फूल आदि चीजें मिल जाती हैं। जबकि वहीं जब दूरदराज जंगली एरिया से भटकता हुआ कोई तेंदुआ, बाघ या बड़ा जंगली जानवर जब जाने-अनजाने में खेड़ा के जंगल में इंट्री करता है, तो उसे अपने खानपान के मुताबिक उपरोक्त सारी चीजें बड़ी ही आसानी से मिल जाती हैं, ऐसे में वो चाहकर भी यहां से नहीं हटता और जहां-तहां घूमता रहता है।
बच्चों ने स्कूल जाना किया बंद!
बताया जा रहा है कि बाघ की दहशत की वजह से अब वहां खेड़ा के एक गांव मीठेनगर के तकरीबन तीन दर्जन बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है, वहीं तमाम मजदूर और श्रमिक गांववाले भी जीविकोपार्जन के लिये बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
तकरीबन दो हफ्ते का समय बीता जा रहा है…राजधानी मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर काकोरी क्षेत्र के रहमान खेड़ा इलाके में ‘टाईगर अभी जिंदा है’। दहशत का माहौल पूरी तरह गांव से लेकर कस्बाई इलाकों के आसपास फैला हुआ है, जबकि लखनऊ वन विभाग की टीम भी पूरी तरह सतर्क और सजग है। कैमरे के फुटेज में साफ तौर पर एक धुंधली सी तस्वीर टहल रहे बाघ की दिख रही है, जबकि बीते तीन दिसंबर को जब इसी बाघ की इंट्री खेड़ा के इलाके में हुई थी तो उस दौरान यह केवल संदेह था। आगे सात दिसंबर को यह तब कन्फर्म हो पाया जब उसने एक नीलगाय को अपना शिकार बनाया, नहीं तो उसे अभी तक लकड़बग्घा ही समझा जा रहा था।
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