December 23, 2024 6:48 pm

बीआईएस लखनऊ ने पैकेज्ड पेयजल (प्राकृतिक खनिज जल के अलावा) के गुणवत्ता कार्मिकों के लिए दो दिवसीय कैप्सूल कोर्स का हुआ आयोजन

उत्पादन इकाइयां पैकेज्ड पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर दें जोर- सुधीर बिश्नोई

लखनऊ। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की लखनऊ शाखा ने पैकेज्ड पेयजल (प्राकृतिक खनिज जल को छोड़कर) के उत्पादन से जुड़ी इकाइयों के गुणवत्ता कार्मिकों के लिए दो दिवसीय कैप्सूल कोर्स का आयोजन किया। यह कार्यक्रम गोमती नगर स्थित होटल कम्फर्ट इन में आयोजित किया गया, जिसका समापन शुक्रवार को प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करके किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य पेयजल के उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण से जुड़े हर पहलू पर जागरूकता बढ़ाना था। साथ ही, बीआईएस द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों और हालिया संशोधनों की जानकारी देना भी इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य था।

बीआईएस के लखनऊ शाखा प्रमुख व वरिष्ठ निदेशक श्री सुधीर बिश्नोई ने बताया कि पैकेज्ड पेयजल को ‘उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ’ की श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो और खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा कड़े नियम बनाए गए हैं। पैकेज्ड पेयजल का उत्पादन बीआईएस मानक आईएस 14543 के तहत किया जाता है, जिसमें जल उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इस कोर्स के माध्यम से प्रतिभागियों को जल उपचार प्रक्रिया, सूक्ष्मजीव संदूषकों की सीमाएं, रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) तकनीक के उपयोग, सैंपल फेलियर की स्थिति में प्रबंधन, और लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की बढ़ती आवश्यकता क्यों है।

श्री बिश्नोई ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि इस वर्ष लगभग 40% पानी के नमूने बीआईएस मानकों को पूरा करने में विफल रहे। पिछले दो वर्षों में यह आंकड़ा बढ़ा है, जो दर्शाता है कि उत्पादन इकाइयों को दिशा-निर्देशों के अनुपालन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

श्री बिश्नोई ने बीआईएस के मानक ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग समय-समय पर करने की सलाह दी ताकि उत्पादन इकाइयां अपनी जानकारी को अद्यतन कर सकें और निर्धारित समय सीमा के भीतर आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर सकें। उन्होंने बताया कि दिशा-निर्देशों का उचित पालन न करने के कारण बड़ी संख्या में नमूने विफल हो रहे हैं।

बीआईएस के साइंटिस्ट सी. सुयश पाण्डेय ने कार्यक्रम के तकनीकी सत्र को संबोधित किया। उन्होंने पेयजल में सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति और उनके परीक्षण की प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पैकेज्ड पेयजल में कुल कोलीफॉर्म, फेकल कोलीफॉर्म, ई. कोली, और अन्य रोगजनकों की उपस्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है। इसलिए, इनकी स्वीकार्य सीमा से अधिक उपस्थिति जल संदूषण का संकेत है।

इसके अलावा, उन्होंने पैकेजिंग सामग्री की जांच की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पैकेजिंग सामग्री पानी में कोई हानिकारक पदार्थ नहीं मिलाती। उन्होंने नमूनों के परीक्षण के कठोर मानकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बीआईएस मानकों का पालन न करने पर संबंधित इकाई को दंडित किया जा सकता है या उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

श्री पाण्डेय ने नमूनों की जांच प्रक्रिया समझाते हुए बताया कि बीआईएस द्वारा प्रमाणित प्रयोगशालाओं में इनका परीक्षण किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी उत्पाद आईएस 14543 के गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हों।

कार्यक्रम के दौरान उत्पादन इकाइयों के गुणवत्ता कार्मिकों को तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी प्रदान की गई। प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने अपने सवाल पूछे और विशेषज्ञों से समाधान प्राप्त किया। इससे कार्यक्रम और भी अधिक संवादात्मक और व्यावहारिक बना।

इस कार्यक्रम में कई प्रमुख उत्पादन इकाइयों ने भाग लिया, जिनमें अर्क इंटरप्राइजेज, वरुण बेवरेज, मां दुर्गा मिनरल वाटर, सीजे एक्वा टेक, अमृत बॉटलर्स, और पीडी साइंटिफिक इंडस्ट्रीज शामिल थीं।

बीआईएस द्वारा आयोजित यह कैप्सूल कोर्स पैकेज्ड पेयजल के उत्पादन और गुणवत्ता मानकों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसने न केवल उत्पादन इकाइयों को दिशा-निर्देशों के अनुपालन का महत्व समझाया, बल्कि तकनीकी प्रक्रियाओं और परीक्षण मानकों पर भी जोर दिया। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम उपभोक्ता स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने और उद्योग में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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