लखनऊ। 11 दिसंबर 1931 को जन्मे विश्व के महानतम सद्गुरु ओशो की जयंती के अवसर पर उनके अनुयायियों और ध्यान साधकों ने लखनऊ स्थित ओशो वर्ल्ड ध्यान केंद्र, करामत मार्केट, निशातगंज में विशेष ध्यान सत्रों का आयोजन किया। यह ध्यान केंद्र बादशाह नगर मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है और वर्षों से ध्यान साधना के लिए समर्पित है।
इस आयोजन में ओशो के प्रसिद्ध ध्यान सत्रों जैसे ओशो टांडव ध्यान, ओशो नादब्रह्म ध्यान, ओशो कुंडलिनी ध्यान, और ओशो संध्या सत्संग का आनंद लिया गया। इस दौरान उपस्थित साधकों ने ओशो की शिक्षाओं और उनके ध्यान विधियों के माध्यम से गहरी शांति और आनंद का अनुभव किया।
ध्यान: समस्याओं का समाधान
ध्यान को मानव जीवन की सभी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान माना जाता है। इसे अनुभव करने वाले साधक इसकी गहराई और प्रभाव को महसूस करते हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्वामी अनाम ने वर्षों पहले लखनऊ में ओशो वर्ल्ड ध्यान केंद्र की स्थापना की थी। यह केंद्र सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक नियमित ध्यान सत्र आयोजित करता है।
ध्यान सत्रों का दैनिक कार्यक्रम
केंद्र में प्रतिदिन ओशो की विभिन्न ध्यान विधियों का अभ्यास होता है, जिसमें शामिल हैं:
जिसमें सुबह ओशो सक्रिय ध्यान, विपश्यना ध्यान,नादब्रह्म ध्यान, शाम को कुंडलिनी ध्यान और दिन का समापन संध्या सत्संग के साथ किया जाता है।
केंद्र का संचालन स्वामी ध्यान अलमस्त और स्वामी अनाम के मार्गदर्शन में होता है, जो ओशो की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित हैं।
सभी से ध्यान का स्वाद लेने का आग्रह
ध्यान केंद्र से जुड़े साधकों का कहना है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में ध्यान का स्वाद अवश्य लेना चाहिए। यदि यह अनुभव सकारात्मक लगे, तो नियमित अभ्यास से जीवन में आनंद और गहराई का अनुभव किया जा सकता है।
ओशो वर्ल्ड ध्यान केंद्र में हर दिन के कार्यक्रम 6 बजे से 8 बजे तक में भाग लेने के लिए साधक और ध्यान प्रेमी आमंत्रित हैं। यह आयोजन न केवल ओशो के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि ध्यान की शक्ति को लोगों के जीवन में लाने का एक प्रयास भी है।