December 27, 2024 9:05 am

पर्यटन विभाग भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के बारे में देश-विदेश में रोड शो एवं व्यापक प्रचार-प्रसार कर रहा है -जयवीर सिंह

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी) लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से जुड़े कई विश्वविख्यात पर्यटन स्थल हैं। इन स्थलों पर विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायी वर्षपर्यन्त दर्शन के लिए आते रहते हैं। इसी क्रम में 29 नवम्बर से 02 दिसम्बर तक मलेशिया से पधारे एक बौद्ध अनुयायियों के दल ने आनन्द बौद्ध वृक्ष, जेतवन विहार, कच्ची और पक्की कुटी, महेथ, गोल्डन टेम्पल आदि स्थानों का भ्रमण किया। इसके अलावा कपिलवस्तु में पिपरहवा स्तूप, गनवरिया, कपिलवस्तु संग्रहालय, बुद्धाथीम पार्क आदि को भी देखा। पर्यटन विभाग भगवान बुद्ध से जुड़े तीर्थ स्थलों को सजाने संवारने का निरन्तर कार्य कर रहा है। इसके साथ ही विदेशों में रोड शो एवं प्रचार प्रसार करके बौद्ध भिक्षुओं को उ0प्र0 आने के लिए आमंत्रित भी कर रहा है।

यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 की पावन धरती भगवान बुद्ध की कर्मस्थली रही है। उन्होंने अपने उपदेश के लिए उ0प्र0 चुना था और यहीं पर उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ था। इसलिए उ0प्र0 बौद्ध धर्म का एक अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में जाना जाता है। पर्यटन विभाग मिशन के तहत पूरे देश और दुनिया में बौद्ध स्थलों का प्रचार प्रसार कर रहा है। इसके साथ ही विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों, टूर टेªवेल आपरेटर्स आदि को बुद्ध सर्किट के अंतर्गत आने वाले स्थलों का भ्रमण कराया जा रहा है।

जयवीर सिंह ने बताया कि मलेशिया से आये हुए बौद्ध भिक्षुओं ने लखनऊ से श्रावस्ती के लिए प्रस्थान किया। इसके अलावा कुशीनगर में महापरिनिर्वाण स्तूप, सभागार स्तूप, मेडिटेशन पार्क, श्रीलंका बुद्धिष्ट टेम्पल आदि का भ्रमण किया। सारनाथ में धामेक स्तूप, चौखंडी स्तूप, मूलगंध कुटी विहार, बोधि वृक्ष, संग्रहालय को देखा। साथ ही भगवान शिव की नगरी काशी में विश्वनाथ मंदिर और गंगा आरती का दर्शन किया। अतिथियों ने क्रूज से गंगा भ्रमण का आनंद लिया। इसके अलावा काशी के अध्यात्मिक स्वरूप एवं प्राचीनता की विविधिताओं से रूबरू हुए।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास करने वाला राज्य हैं। अभी हम घरेलू पर्यटन के मामले में देश में पहले स्थान पर हैं। विदेश से आने वाले पर्यटकों के मामले में भी यह उपलब्धि हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। महाकुम्भ-2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को उ0प्र0 के विभिन्न पर्यटन स्थलों एवं धार्मिक स्थलों के भ्रमण के लिए व्यापक प्रचार प्रसार की रणनीति बनाई गयी है। श्रद्धालुओं के लिए ठहरने आदि की भी सुविधा सुलभ कराई जायेगी। महाकुम्भ में आने वाले तीर्थ यात्रियों को भारत की सांस्कृतिक विविधिता तथा कुम्भ के ऐतिहासिकता के बारे में जानकारी दी जायेगी।

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