January 11, 2025 2:42 pm

दिलों को छू गई काबुलीवाला और मंज़ूर की कहानी

न्यूज़ ऑफ इण्डिया( एजेंसी) प्रयागराज। बुनियाद फाउंडेशन की ओर से रविवार की शाम को दो कहानी रबीन्द्रनाथ टैगोर कृत काबुलीवाला और सआदत हसन मंटो द्वारा लिखित “मंज़ूर” का मंचन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कला भवन प्रेक्षाग्रह में किया गया।नाटक का निर्देशन एनएसडी से प्रशिक्षित व शहर के युवा रंग निर्देशक असगर अली ने किया। सहायक निर्देशन महिला रंगकर्मी रुचि गुप्ता किया। पहला मंचन हुआ काबुलीवाला का जिसमें एक फेरीवाले रहमत और छोटी बच्ची मिनी के भावनात्मक संबंधों की कहानी दिखाई गई कि कैसे एक शरारत के चलते मिनी काबुलीवाले को बुलाती है और जब वह अंदर आता है तो वह उससे डरती है। पिता के समझाने और काबुलीवाले का उसके प्रति स्नेह देखकर दोनों में बहुत ही भावनात्मक रिश्ता बन जाता है।

फिर एक दिन रहमत से अनजाने में एक अपराध हो जाता है जिसके चलते उसे सजा हो जाती है और कई सालों बाद जब रहमत छूटकर आता है तो मिनी बड़ी हो गई होती है और उसे भूल चुकी होती है।तभी रहमत को एहसास होता है कि उसकी अपनी बेटी भी इसी तरह इतने सालों में बड़ी हो गई होगी।वही दूसरा मंचन हुआ कहानी “मंज़ूर” का मंटो द्वारा लिखित यह कहानी उम्मीद और मायूसी के विषय पर दो मरीजों को केंद्रित करके लिखी गई है,जिसकी शुरुआत होती है अस्पताल से जहां दो मरीज मंज़ूर और अख्तर भरती रहते हैं।मंज़ूर एक 14 साल का लड़का है जिसका निचला धड़ फ़ालिज के कारण अपंग है फिर भी वह हसता और खिलखिलाता रहता है जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं,वहीं दूसरी ओर अख्तर जिसे कई बार दिल के दौरे पड़ चुके हैं और उसके जिंदा रहने की उम्मीद लगभग कम है पर मंज़ूर की खुशी और मुस्कुराहट को देखते हुए उसे जीने की उम्मीद हो जाती है और वह सही हो जाता है।

परंतु अंत में कुछ ऐसा होता है कि मंज़ूर मायूस हो जाता है और अचानक उसकी मृत्यु हो जाती है। इस बात से अख्तर को गहरा सदमा लगता है।इस कहानी से यह साबित होता है कि अगर उम्मीद पैदा हो जाए तो मारता हुआ व्यक्ति भी बच सकता है वही एक मायूसी जिंदा व्यक्ति को भी मौत की ओर ले जा सकती है। नाटक के निर्देशक श्री अली ने बताया कि पिछले कई दिनों से एक नाट्य कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसके बाद प्रतिभागियों को चयनित करके उन्हें रंगमंच की बारीकियां से परिचित कराते हुए कहानी के रंगमंच को आधारित बनाकर प्रस्तुति तैयार की गई। नाटक में अभिनय किया प्रियांशु अमन,वैभव त्रिपाठी, अमरनाथ,अनिल कुमार,कोमल श्रीवास्तव,ममता,शिवम दीक्षित आदि ने वही संगीत संचालन रुचि गुप्ता वस्त्र खुशबू गुप्ता मंच व्यवस्था आसिफ अली,फोटोग्राफी आदर्श मिश्रा, वीडियोग्राफी मंगलम कुमार,अमरनाथ श्रीवास्तव ,सहयोग द कलर्स फाउंडेशन का रहा तथा प्रस्तुति नियंत्रक अंकित सिंह यादव रहे।

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