लखनऊ। राजधानी के नाका हिंडोला स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा में सिखों के चौथे गुरु रामदास का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर शाम के विशेष दीवान रहिरास साहिब के पाठ के उपरान्त हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह ने शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने गुरू रामदास महाराज के प्रकाश उत्सव पर व्याख्यान करते हुए कहा कि 1534 में चूना मण्डी लाहौर में हुआ था।पिता हरदास और माता दया कौर था। छोटी उम्र में माता-पिता का निधन हो गया। गुरु अमरदास के दर्शन कर तन-मन से उनकी सेवा और गुरु की बाणी पढ़ते और सिमरन करते रहे। बाबा बुड्ढा को साथ लेकर पहले सरोवर की खुदाई की और नींव रखी जो आज एक महान तीर्थस्थल अमृतसर हरिमन्दिर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ देश विदेश से श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं और सच्चे मन से पवित्र सरोवर में स्नान करके दुःख एवं कष्टों से मुक्ति पाते हैं। सिमरन साधना परिवार के बच्चे ने भी शबद गायन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिह बग्गा ने समूह संगत को गुरू रामदास के प्रकाश उत्सव की बधाई दी।