जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित की गई उदयपुरवाटी पंचायत समिति की प्रधान को राहत दी है। अदालत ने प्रधान के निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामला अंतिम निस्तारण के लिए 11 अक्टूबर को रखा है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश निलंबित प्रधान माया देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।याचिका में अधिवक्ता निखिल सैनी ने अदालत को बताया कि पंचायत समिति के ठेकेदार ने अप्रैल, 2022 में एसीबी में शिकायत दी थी कि उसके बिल पास कराने की एवज में रिश्वत मांगी जा रही है। जिस पर कार्रवाई करते हुए गत 20 जनवरी को एसीबी ने याचिकाकर्ता के देवर को पचास हजार रुपये के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। वहीं 24 मई को पंचायती राज विभाग ने याचिकाकर्ता को चार्जशीट देकर उसी दिन उसका निलंबन कर दिया।
याचिका में निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता भाजपा की प्रधान है और स्थानीय विधायक तत्कालीन पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र गुढा उनसे राजनीतिक द्वेषता रखते हैं। एसीबी ने शिकायत के करीब आठ माह बाद कार्रवाई की है। वहीं पंचायती राज अधिनियम के नियम 38(4) के तहत निलंबन से पूर्व प्रारंभिक जांच करने का प्रावधान है। जबकि याचिकाकर्ता को बिना प्रारंभिक जांच किए निलंबन किया गया है। ऐसे में पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों की पालना नहीं हुई है। इसलिए उसके निलंबन को रद्द किया जाए। जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीबी के केस में याचिकाकर्ता को भी आरोपी बनाया गया है। एसीबी प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश कर चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार याचिकाकर्ता को निलंबित कर सकती है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए प्रकरण को निस्तारण के लिए 11 अक्टूबर को रखा है।